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पेयर तकनीक द्वारा हाइडेटिड सिस्ट का सफल उपचार

पेयर तकनीक द्वारा हाइडेटिड सिस्ट का सफल उपचार

उदयपुर. लिवर में स्थित हाइडेटिड सिस्ट का अत्याधुनिक ‘पेयर’ (च्.प्त्) प्रक्रिया द्वारा इलाज कर 45 वर्षीय रोगी को स्वस्थ किया. यह सफल उपचार गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल के न्यूरो वेसक्यूलर इंटरवेंशनल रेडियोलोजिस्ट डाॅ सीताराम बारठ व गेस्ट्रोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता ने किया. मात्र 10 मिनट की प्रक्रिया से रोगी का उपचार किया गया. इस प्रक्रिया में कैथेटर को सिस्ट के अंदर ले जाया गया, फिर सिस्ट को पंक्चर कर उसके अंतर्वस्तु को बाहर निकाला गया. तत्पश्चात् क्रिमी रोधक दवाई को इंजेक्ट किया गया और सिस्ट को पूरी तरह बाहर निकाल लिया गया. यह उपचार बिना ओपन सर्जरी या चीर-फाड़ के अंजाम दिया गया. सामान्यतः लिवर में सिस्ट का उपचार ओपन सर्जरी द्वारा किया जाता है.
डाॅ गुप्ता ने बताया कि हाइडेटिड सिस्ट रोग, परजीवी संक्रमण के कारण होता है जो ज्यादातर लिवर में ही होता है. साथ ही यह हमारे शरीर में किडनी, पेन्क्रियाज, फेफड़ों इत्यादि में भी हो सकता है. यह एक पानी की गांठ होती है जो यदि फट जाए तो मृत्यु की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है क्योंकि इससे पूरे शरीर में संक्रमण फैल जाता है. छोटी गांठों का अकसर दवाइयों द्वारा इलाज किया जाता है परंतु उससे गांठ बनी रहती है. वहीं बड़ी गांठों का विशेष प्रशिक्षण एवं नवीन तकनीकों के अभाव के कारण इलाज ओपन सर्जरी द्वारा कर दिया जाता है. जब कि इस मामले में पेयर तकनीक द्वारा इलाज किया गया जो दक्षिणी राजस्थान का प्रथम मामला है.
डाॅ गुप्ता ने अपने शोध के आधार पर दावा किया है कि उदयपुर संभाग में हाइडेटिड सिस्ट रोग काफी फैला हुआ है. बांसवाड़ा निवासी रोगी हिरजी पटेल उम्र (45 वर्ष) ने बताया कि वह पिछले छः महीने से पीलिया, बुखार एवं पेट व लिवर में दर्द से पीड़ित था. अहमदाबाद के निजी अस्पताल में इलाज कराने के बाद भी कोई आराम न मिला. उसके बाद वह गीतांजली हाॅस्पिटल आया जहां गेस्ट्रोलोजिस्ट डाॅ पंकज गुप्ता से परामर्श लिया. सीटी स्केन व खून की जांचों में लिवर में हाइडेटिड सिस्ट का पता चला जिसका शीघ्र उपचार किया गया.