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‘विशाल एड्रीनल ट्यूमर की सफल सर्जरी’

‘विशाल एड्रीनल ट्यूमर की सफल सर्जरी’

गीतांजली मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल, उदयपुर के ऑन्को सर्जन डाॅ आशीष जाखेटिया एवं डाॅ अरुण पांडे्य ने 72 वर्षीय रोगी के लगभग 15 ग् 15 सेंटीमीटर बड़े विशाल एड्रीनल ट्यूमर (जाइंट फियोक्रोमोसायटोमा) को सर्जरी द्वारा बाहर निकाल रोगी को स्वस्थ किया। आमतौर पर एड्रीनल ग्लेंड में ट्यूमर 4 या 5 सेंटीमीटर का होता है। यह असाधारण बीमारी हर 10 लाख व्यक्तियों में से किसी एक को होती है। इस टीम में आॅन्को सर्जन के साथ एनेस्थेटिस्ट डाॅ नवीन पाटीदार एवं एंडोक्रानोलोजिस्ट डॉ ओंकार वाघ शामिल थे। 
 
क्यों जटिल थी यह सर्जरी?
ऐसे मामलों में आॅपरेशन के दौरान लगाए गए चीरे से अत्यधिक रक्तस्त्राव का खतरा बना रहता है। साथ ही उच्च रक्तचाप की परेशानी के कारण यह सर्जरी काफी जटिल थी। गीतांजली में भर्ती इस रोगी के रक्तचाप का इलाज डाॅ ओंकार वाघ ने दवाइयों से किया। तत्पश्चात् रोगी का आॅपरेशन किया जहां पहले किडनी की नस को विच्छेदित किया गया। उसके बाद अधिवृक्क ग्रंथि की नस को बंद कर, बाकी अंगों (किडनी, लिवर व डायफ्राम) को बचाते हुए विशाल ट्यूमर को हटाया गया। इस आॅपरेशन में एनेस्थेटिस्ट डाॅ नवीन पाटीदार ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने आॅपरेशन के दौरान रक्तचाप को नियंत्रित किया जो कि अत्यंत जटिल प्रक्रिया है क्योंकि अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रीनल ग्लेंड) को छूते ही रक्तचाप का स्तर 250 से ऊपर पहुंच रहा था जिससे रोगी की मृत्यु की आशंका बनी हुई थी। इसके नियंत्रण के पश्चात् ही आॅपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सका। रोगी अब पूर्णतः स्वस्थ है एवं उसका इलाज राजस्थान सरकार की भामाशह स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत निःशुल्क हुआ।
 
डाॅ आशीष ने बताया कि अधिवृक्क ग्रंथियां प्रत्येक गुर्दे के ऊपर स्थित होती है। यह ग्रंथियां इम्यून सिस्टम, मेटाबोलिज्म, ब्लड शुगर लेवल और रक्तचाप नियंत्रण सहित कई शारीरिक कार्यों को विनियमित करने में मदद करती है। परन्तु इस रोगी में अधिवृक्क ग्रंथि में गांठ होने के कारण उपरोक्त शारीरिक कार्य अनियंत्रित हो रहे थे और उच्च रक्तचाप के चलते हृदयघात होने की स्थिति मजबूत हो रही थी। साथ ही ब्रेन हेमरेज, रक्त वाहिकाओं के फटने का डर, हृदय की धड़कन का तेज चलना जैसे जोखिम भी शामिल थे।
 
जिला निवासी प्रताप राम (उम्र 72 वर्ष) गत पिछले दो वर्षों से उच्च रक्तचाप, चक्कर आना, सिरदर्द एवं बायीं ओर के गुर्दे में दर्द से परेशान था। गीतांजली हाॅस्पिटल के कैंसर विभाग में परामर्श के बाद सीटी स्केन एवं एमआरआई की जांच से पता चला कि अधिवृक्क ग्रंथि (एड्रीनल ग्लेंड) में लगभग 15 ग् 15 सेंटीमीटर बड़ी विशाल गांठ है। इस बिमारी को जाइंट फियोक्रोमोसायटोमा कहते है। यह गांठ रोगी के बायीं किडनी को भी दबा रही थी। इसके बाद एड्रीनलेक्टोमी सर्जरी कर गांठ को बहार निकाला गया जिसमें साढ़े तीन घंटें का समय लगा। 
 
गीतांजली हाॅस्पिटल के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि, ‘गीतांजली कैंसर सेंटर में एक ही छत के नीचे मेडिकल, सर्जिकल एवं रेडिएशन आॅन्कोलोजिस्ट की विशाल एवं अनुभवी टीम मौजूद है। साथ ही यहाँ कैंसर के जटिल मामलों में ट्यूमर बोर्ड गठित कर उसके अंतर्गत समन्वित कार्यप्रणाली को अपनाते हुए योजनाबद्ध तरीके से कैंसर का उपचार करते है एवं प्रत्येक कैंसर रोगी के लिए अलग योजना के साथ उपचार को क्रियान्वित करते है। यहां उपलब्ध नवीन पद्धतियों द्वारा इलाज कर अधिक उम्र के रोगियों में भी सर्जरी के बेहतर परिणाम देखने को मिले है।’’