नाम- दिनेश मोदी, उम्र- 51 वर्ष, निवासी- कोटा
कैंसर जिसका नाम सुनते ही हताशा, तकलीफ का चित्र ज़हन में हो आता है, दिनेश जी की कहानी लगातार शारीरिक पीड़ा, एवं बार बार सर्जरी के साइड इफेक्ट्स होने के बावजूद कैंसर जैसी बीमरी को हराकर जीने की प्रबल इच्छा शक्ति का होना जिसमे उनकी चिकित्सकीय सहायता कर गीतांजली कैंसर सेंटर स्वयं को गोरवान्वित अनुभव कर रहा है।
सितंबर 2013 में दिनेश जी को आभास हुआ कि उनका मुंह कम खुल रहा है ऐसे में बायोप्सी द्वारा चेकअप कराने पर पता चला कि मुंह में ट्यूमर है, ऐसे में तुरंत कमांडो सर्जरी द्वारा बाये जबड़े को बाहर निकाल दिया गया। इसके पश्चात जनवरी 2014 में उन्हें बायोप्सी करवाई गई जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई एवं दोबारा कमांडो सर्जरी द्वारा होठ के अंदर की गांठ को निकाला गया। सितंबर 2014 में फिर ऑपरेशन किया गया एवं जांच जारी रखी 2017 में रेडिएशन किया गया। इतनी सब सर्जरी होने के बाद दिनेश जी का मुंह में घाव पड़ गया था जिसके चलते प्लास्टिक सर्जरी करवाई गई।
मार्च 2019 में पेट (PET) टेस्ट एवं बायोप्सी की गई तत्पश्चात लेजर सर्जरी की गयी इस तरह से पांच कैंसर सर्जरी की जा चुकी थी परंतु अभी भी कहां सारी मुश्किलें खत्म हुई थी, दिनेश जी ने पुनः पाया कि जीभ के नीचे छाला हो गया है एवं राजस्थान के जाने-माने हॉस्पिटल में दिखाने पर बताया गया कि कि उनकी जीभ की नोक काटनी पड़ेगी इसके चलते दिनेश जी व उनका परिवार बहुत घबरा गये एवं उदयपुर आये तथा गीतांजली हॉस्पिटल में दिखाया। यहां गीतांजली कैंसर सेंटर के रेडियोलॉजी ऑंकोलॉजिस्ट रमेश पुरोहित द्वारा दिनेश जी का निरीक्षण किया गया एवं मलटीडिसीप्लेनरी मीटिंग (एमडीटी) ट्यूमर बोर्ड में ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट से डॉ. आशीष जाखेटिया, डॉ. अंकित अग्रवाल, डॉ. रमेश पुरोहित, डॉ. अरुण पांडेय ने पाया की दिनेश जी की मुंह की स्थिति बहुत ही जटिल है तथा ऐसी स्थिति में ब्रेकीथेरेपी सबसे अच्छा विकल्प है, ट्यूमर बोर्ड में निर्धारित किया गया।मुंह के कैंसर की ब्रेकीथेरेपी की सुविधा देश के कुछ ही चुनिन्दा सेंटर्स में उपलब्ध है जिसमें गीतांजली कैंसर सेंटर भी एक है।
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